Friday, 23 December 2022

ऐसा है मेरा गाँव जहाँ की गलियाँ मुझे बुलाती हैं...

जहाँ आत्मा मेरी बसती है, अपनी भी कोई हस्ती है, 
जहाँ अपनों के गम में सब रोते और ख़ुशी हर्षाति है, 
ऐसा है मेरा गाँव जहाँ की गलियाँ मुझे बुलाती हैं| 

यहाँ की वायु में स्नेह है जो सहज मुझे सहलाती है, 
और बालों से खेलकर बुझे बच्चे सा फुसलाती है 
गर्मी के दिनों में आम की बगिया में मेरा घंटो खेलना, 
आज भी दिल में कहीं एक कसक छोड़ जाती है, 
ऐसा है मेरा गाँव जहाँ की गलियाँ मुझे बुलाती हैं| 

मेरा पुराना वो दलान जो था शायद कभी मेरे पुरखों की शान, 
आज है बिलकुल सूना , जैसे ढह चुका है उसका शान, 
उसकी गालियों के गुज़रते आँखों में जैसे सदियां बीत जाती हैं, 
ऐसा है मेरा गाँव जहाँ की गलियाँ मुझे बुलाती हैं| 
 
आज भी वो लोग हैं, वो रिश्ते हैं, पर वो एहसास मिट रहा है, 
शहर बनाने की तमन्ना में वो गाँव मिट रहा है, 
फिर भी गर्मी की छुट्टियों में और मिटटी की खुश्बू में 
एकाएक कहीं से दिल में एक लहर ही उठ जाती है, 
ऐसा है मेरा गाँव जहाँ की गलियाँ मुझे बुलाती हैं!

A Thinking Mind is a Paining Mind

Those days when I am sad , without a reason ,  and within something withheld, I think and murmur ,with no words to spell, And when I look ar...