हाँ मैं रोया था उस दिन ,
जब तुमने कहा था वो बेटी है , वो क्या करेगी ।
उसके सपनो को अपने आंसूओं से धोया था उस दिन ,
जब तुमने कहा था , वो बेटी है पढ़ कर क्या करेगी ।
बहुत बेबस सा महसूस किया था उस दिन ,
जब उसके हिस्से के सपनो को रौंदकर अपना पल्ला झाड़ा था ,
जब वो डॉक्टर बनना चाहती थी, और हमने उसे दुल्हन बनाया था,
हर पल , हर छण , उसकी इच्छाओं को दबाकर अपने घर की इज़्ज़त बढ़ाया था |
तो , हाँ मैं रोया था उस दिन ।
जब तुमने कहा था वो बेटी है , वो क्या करेगी ।
मैं रोता हूँ आज भी ।
क्योंकि वो आज भी कहीं सिसक रही है ,
किसी का घर बनाने की खातिर खुद किसी कोने में सिमट रही है ,
किसी दरिंदे की हवस से लेकर घर वालों की इज़्ज़त का
बोझ ढोती खुद सबके इशारों पर थिड़क रही है |
तो हाँ मैं रोता हूँ आज भी ,
क्योंकि अपने इंसान होने की कीमत, वो आज भी एक लड़की होकर चुका रही है |
जब तुमने कहा था वो बेटी है , वो क्या करेगी ।
उसके सपनो को अपने आंसूओं से धोया था उस दिन ,
जब तुमने कहा था , वो बेटी है पढ़ कर क्या करेगी ।
बहुत बेबस सा महसूस किया था उस दिन ,
जब उसके हिस्से के सपनो को रौंदकर अपना पल्ला झाड़ा था ,
जब वो डॉक्टर बनना चाहती थी, और हमने उसे दुल्हन बनाया था,
हर पल , हर छण , उसकी इच्छाओं को दबाकर अपने घर की इज़्ज़त बढ़ाया था |
तो , हाँ मैं रोया था उस दिन ।
जब तुमने कहा था वो बेटी है , वो क्या करेगी ।
मैं रोता हूँ आज भी ।
क्योंकि वो आज भी कहीं सिसक रही है ,
किसी का घर बनाने की खातिर खुद किसी कोने में सिमट रही है ,
किसी दरिंदे की हवस से लेकर घर वालों की इज़्ज़त का
बोझ ढोती खुद सबके इशारों पर थिड़क रही है |
तो हाँ मैं रोता हूँ आज भी ,
क्योंकि अपने इंसान होने की कीमत, वो आज भी एक लड़की होकर चुका रही है |